पृथ्वी की आंतरिक संरचना


पृथ्वी की आंतरिक संरचना

पृथ्वी का भीतरी हिस्सा तीन परतो (Layers) से बना है । 
पृथ्वी के सबसे ऊपरी परत को क्रस्ट (Crust) कहते है। 
क्रस्ट  परत के नीचे मेंटल (Mantle) परत होती है और 
सबसे  नीचे कोर (Core) होती है ।

क्रस्ट की परत (crust layer) 


क्रस्ट (curst ) पृथ्वी का सबसे ऊपरी और बहरी परत होता है जहाँ हम रहते है । यहाँ सभी प्रकार के जानवर और पेड़-पौधे होते है । समुद्र भी इसी परत में आता है । यह परत 70 किलोमीटर तक गहरी होती है ।

मेंटल की परत (mantle layer)

यह दूसरे नंबर की  परत है जो क्रस्ट  के बाद आती है इसे  मेंटल कहते है । यह 2890 किलोमीटर की मोटी परत होती है । यह पृथ्वी की सबसे बड़ी परत होती है । यह सिलिकेट (silicate) के पत्थरो से बनी होती है जिसमे बहुत ज़्यादा मात्रा में लोहा और मैग्नीशियम (magnesium) नामक धातु होता है ।  बहुत ज़्यादा तापमान और दबाव की वजह से ये धातु कभी – कभी द्रव (liquid)भी बन जाते है । जब इन धातु के बड़े-बड़े plates हिलने लगते है तो पृथ्वी में भूकम्प भी आ जाता है ।

कोर की परत (core layer)


कोर (core ) परत पृथ्वी की सबसे आखरी और सबसे अंदर की परत होती है । यह दो परतो से बनी होती है : भीतरी कोर परत (inner core layer) और बाहरी कोर परत (outer core layer) । 
भीतरी कोर परत 1200 किलोमीटर मोटी होती है । यहाँ दबाव बहुत ज़्यादा होता है जिसकी वज़ह से यह परत बहुत सख्त होती है । यहाँ का तापमान 4,982° से 7,204° तक होता है । यह उतना की गर्म है जितना सूरज की सतह गर्म होती है ।  पर इतनी गर्मी से भी वहाँ मौजूद धातु पिघलते नहीं है क्योंकि वहाँ का दबाव बहुत ज़्यादा होता है । वैज्ञानिको के अनुसार इस भीतरी कोर परत में लोहा और निकल (nickel ) नामक धातु हो सकता है । कुछ वैज्ञानिक यह भी सोचते है की इस परत पर सोना या प्लैटिनम (platinum) जैसे धातु भी हो सकते है । 
बाहरी  कोर परत 3400 किलोमीटर मोटी होती है । इस परत में धातु द्रव (liquid) बन जाते है । यह निकल (nickel), लोहा और कुछ अन्य धातुओ से बना होता है ।
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